Monday, 29 October 2012

बिलैन्ती प्वाथ

राम है गईं रामा, कृष्ण कृष्णा
बुद्ध भगवान है गईं बुद्धा-
के पढ़ी-लेखीं मैंस है गईं निबुद्धा !
इज मम्मी-मामा, बौज्यू डैडी
स्यैणीं सब है गईं लेडी

उईं मोट हाफसूल जस मडुवक कन्तर
आफर बटि ऐलैं ल्यायीं जस धानक कन्टर
उईं भाड़ उईं पटबाड़
उईं भटक जौव जाणि पाणिक नौव
जंगी-सुर्याव-आंगाक् बात-बात
आंगाक् चिर पड़ीं ल्वात
बाट बटीण बखत टाटा-टाटा !
आज ऐगोछा अघिल फ्यार कभै झन आया यै बाटा
ऐगो बौयाट ल्हैगे भेट-घाट
गुड् मौरनिंग, गुड इविनिंग, सबै जाग गुड-गुड
पैलाग-जी रौ, मैं रौं तु रौ-फरके हालौ पुठ !
दिदि-भुलि एक चुलि, मैं नानि तु ठुलि
तु कपटी मैं कपटी-बाइ में बस बकणईं सब
ऐ गयां हम यां कां बटि !

कां गाय उं दिराणि जिठाणि-दिज्यू काखि-जेड़जाक् दिन
कां गाय काक-जिठबाज्यु नन्द-भौजि-पौणिक दिन
भै हराय, बैणि हरायि-सिस्टर मिस्टर ! भ्यैर भ्यैरै !
नाई हराण मांण हरांण फरुवांकि चौल !

गौं-घरों तक लै छोपणौ हौल
भोलहुं स्याप बणि जाल यो गिदौल
ठपैक मारल कल्ज में
टापणि चीज हैरै ह्याव
कभै नि देखि इतणि असन-अब्याव
अंकल-आन्टी ! सौरी-सौरी हैगे औरी
के चै रौछा बांजि गे खतरकि घन्टी
क्वे छा रे ! जो फेड़ि द्यला मेरि फिन्द
मैंस-मैंस कैं यू-यू कै बेर धत्यूणईं
अणहोति !
के सब बिलैन्ती प्वाथ है गईं ?

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